डिप्रेशन की शुरुआत को कैसे समझें।
बात जब हेल्थ की हो तो हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के अनेक तरीको के बारे में बात करते हैं पर हेल्थ क्या सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने का विषय है? क्या दिमाग़ को स्वस्थ रखना ज़रूरी नहीं ? हम एक ऐसी सोसाइटी में रहते हैं जहाँ पर दिमाग़ की बीमारी को पागलपन का नाम दिया जाता है। अभी तक तो हमारी सोसाइटी ने दिमाग़ी बीमारी को बीमारी तक समझना नहीं शुरू किया है तो हम इसके लक्षण के बारे में अभी बात नहीं कर सकते । अक्सर देखा जाता है कि किसी व्यक्ति कि मनोदशा(Mood) अगर बार बार बदलती है यानि कि वो तुनकमिजाज़(Moody) है तो लोग उसे बहुत बुरा समझते हैं लोग उस्से दोस्ती करना बात करना पसंद नहीं करते ये सोच कर कि "इसका तो पल पल पर मूड बदलता है क्या पता ये कब भड़क जाये "
हमारे व्यवहार में अगर जल्दी जल्दी बदलाव आये तो हमारे लिए ज़रूरी है कि हम इसकी चिंता करें क्युकि व्यवहार में स्थिरता का ना होना एक असामान्यता का लक्षण है। इसी तरह अगर हमारे साथ हमारे आस पास रहने वाले किसी व्यक्ति (फिर चाहे वो हमारे परिवार का कोई सदस्य हो हमारा कोई दोस्त हो या हमारे साथ काम करने वाला कोई कलीग हो )जिसके व्यवहार में एक असामान्य परिवर्तन नज़र आये तो इसे हमें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। उस्से भागने गुस्सा होने Irritate होने के बजाये उसे समझना चाहिए क्युकि यही वो पल है जब उसे हमारे जैसे नार्मल लोगों कि ज़रूरत है
व्यवहार के यही बदलाव आगे चलकर एक भयानक बीमारी डिप्रेशन का रूप ले सकते हैं। प्रमुख अभिनेत्री दीपिका पादुकोणे ने अपने बहुत सारे इंटरव्यू में डिप्रेशन के बारे में बताया है उनका कहना बिलकुल सही था कि डिप्रेशन एक बार हो जाता है तो फिर आप सारी उम्र इससे पीछा नहीं छुड़ा सकते। इसलिए अपना बहुत ध्यान रखे, अपने साथ रहने वालो को observe करते रहे। किसी को judge करने कि जगह उसके व्यवहार में बदलाव के कारण को समझे यदि आपको लगता है कि कोई असामन्य रूप से व्यवहार कर रहा है तो उसके पास जा कर उसकी परेशानी को सुने, समझे और Psychiatrist के पास जाने से संकोच ना करें क्युकि एक डॉक्टर ही आपको सही सलाह दे सकता है।
धन्यवाद।